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उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनदेखी किसी दिन पड़ न जाए भारी ,हाई कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर विभागीय लापरवाही का परिणाम है किनारी बाजार जैसे हादसे – The DNA News

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनदेखी किसी दिन पड़ न जाए भारी ,हाई कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर विभागीय लापरवाही का परिणाम है किनारी बाजार जैसे हादसे

आगरा । किनारी बाजार और जैसे कई हादसों पर रोक लग सकती थी अगर अगर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने 2016 में आए हाई कोर्ट के आदेश को पूरी तरीके से पालन किया होता और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मार्च 2016 में निर्धारित की गई उद्योगों की कैटेगरी में इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयाें को रेड कैटेगरी में रखा गया था उसके अनुसार अगर कार्यवाही की होती तो ऐसे हादसे सामने नहीं आते  ।दरअसल  संकरी गलियों और घने बाजारों मे दर्जनों ऐसे कारखाने चल रहे है जहाँ प्रतिबंधित केमिकल प्रयोग किये जाते है। ऐसा नहीं कि विभागीय अधिकारी जानते नहीं है, उन्हें सब पता रहता है लेकिन जेब भारी करने टोटके को जानते हुए कार्यवाही करने मे हिचकिचाते है। और फिर किसी दिन जब किनारी बाजार जैसा हादसा हो जाता है तो निकल पड़ते है कार्यवाही करने। दो चार दिन कार्यवाही का हल्ला गुल्ला मचा रहता है उसके बाद सारी स्थितियां पूर्ववत हो जाती है।

सामाजिक कार्यकर्ता रवि गांधी की शिकायतों को लगातार किया गया दरकिनार 

वही इस बारे में लगातार सामाजिक कार्यकर्ता रवि गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग सहित उच्च अधिकारियों पर लगातार शिकायत की की जाती रही लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अप्रैल 2016 के लिखे हुए पत्र में शासन प्रशासन प्रदूषण नियंत्रण विभाग को अवगत कराया गया कि आगरा शहर में नगला धनी, लंगडे की चौकी, टेढी बगिया, रामबाग, लोहामण्डी, नमक मण्डी, किनारी बाजार, सैनिक पैलेस किनारी बाजार, जैन मार्केट, महालक्ष्मी कॉम्पलैक्स, मुकेश पैलेस, शाह कॉम्पलैक्स तथा 13/20, 31/21, शिव मार्केट, जूता राम का फाटक, किनारी बाजार आगरा आदि अनेक ऐसे आवासीय परिसर एवं घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं जहाँ प्रदूषण संबंधी औद्योगिक इकाईयां अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम चल रही है एवं जनता के स्वास्थ्य को निरन्तर हॉनि पहुँचा रही है एवं उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के आदेशों की अवहेलना कर रही है।

क्या कहता है हाई कोर्ट का आदेश 

उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने अपने आदेश दिनांक 15.02.2016 के द्वारा उत्तर प्रदेश प्रदुषण नियंत्रण विभाग एवं सम्बंधित अन्य विभागों को निर्देशित किया था कि सभी सम्बन्धित विभाग अपने स्तर से यह सुनिश्चित करें कि जो औद्योगिक इकाईयाँ जल व वायु को प्रदूषित करके सामाजिक स्वास्थ्य को हॉनि पहुँचाने हेतु उत्तरदायी हैं ऐसी औद्योगिक इकाईयों को बन्द कराने हेतु तत्काल प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करायें।

पिछले 8 सालों मे ये हुई बड़ी  कार्यवाही 

  • फाउंड्री नगर में रिहायशी क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित आठ इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयों के खिलाफ 8जुलाई 2022 को कार्रवाई की गई। एडीएम सिटी के निर्देशन में हुई कार्रवाई में इकाइयों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए थे.
  • घरों में अवैध रूप से संचालित इलेक्ट्रोप्लेटिंग (इमीटेशन ज्वैलरी) इकाइयों के विरुद्ध प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर जलकल विभाग, नगर निगम, दक्षिणांचल और टोरंट पावर ने संयुक्त कार्रवाई की। छत्ता, ताजगंज और रकाबगंज वार्ड में 13 अक्तूबर 22 से 23 नवंबर 22 तक कार्रवाई के दौरान 58 इकाइयों के पानी कनेक्शन और 15 इकाइयों के बिजली कनेक्शन काटे गए। घरों में चल रही इकाइयों से निकल रहा तेजाब नालियों में बहाया जा रहा था।

क्या कहना है सामाजिक कार्यकर्ता रवि गांधी का 

रवि गांधी ने बताया कि वह लगातार 2012 से उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग सहित सभी संबंधित विभागों को शिकायत कर रहे है । 66 इकाइयों की सूची भी विभाग को सौंपी गई थी अभी उसमे से भी कुछ इकाइयां पूर्ववत कार्यरत है । हाई कोर्ट ने मेरे द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर कई आदेश पारित किए जिसमे 15 फरवरी 2016 को पारित आदेश अहम है जिसमे ऐसी द्योगिक इकाईयाँ जल व वायु को प्रदूषित करके सामाजिक स्वास्थ्य को हॉनि पहुँचाने हेतु उत्तरदायी हैं ऐसी औद्योगिक इकाईयों को बन्द कराने हेतु तत्काल प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित कराने के दिशा निर्देश जारी किए गए थे लेकिन विभागीय  मिलीभगत के चलते ऐसी इकाइयों को अभयदान मिल हुया है ।

क्या कहना है संबंधित अधिकारी का 

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी विश्वनाथ शर्मा से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया की 2016 से 60 से ज्यादा इकाइयों पर कार्यवाही की गई है । एसी इकाइयों के भूपयोग के लिए आगरा विकास प्राधिकरण , विधुत आपूर्ति रोकने के लिए संबंधित विभाग और जल सप्लाई रोकने के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है । यह सभी विभाग सम्मिलित रूप से उप जिलाधिकारी नगर के नेत्रताव मे बनी कमेटी के तहत कार्यवाही करते है । हालांकि बस्तियों मे अभी भी चल रही औधयोगिक इकाइयों पर कार्यवाही करंने के संबंध मे टाल मटोल कर गए ।

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